जाधव एनएच, नरेंद्रबाबू सीआर और बानू प्रकाश जीसी
देश में खाद्यान्न की बर्बादी की मात्रा लगातार बढ़ रही है, खाद्यान्न जीवनचक्र के प्रत्येक चरण में खाद्यान्न का दुरुपयोग एक गंभीर पर्यावरणीय, सामाजिक और वित्तीय मुद्दा बन गया है। होटलों और रेस्तराओं में प्रतिदिन बड़ी मात्रा में खाद्यान्न बर्बाद होता है। विवाह मंडपों, पार्टी हॉल आदि में भी बहुत अधिक मात्रा में खाद्यान्न बर्बाद होता है। जिस देश में एक बहुत बड़ा समाज मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो और उसे एक समय का भोजन नसीब न हो, ऐसी बर्बादी असहनीय है। यह एक विडंबना है कि वंचित समाज के लोगों की मदद करने के लिए सैकड़ों गैर सरकारी संगठन काम कर रहे हैं और कम से कम उन्हें भोजन और आश्रय जैसी न्यूनतम आवश्यकताएं तो प्रदान करना चाहते हैं। प्रस्तावित विधि कहती है कि यदि हम इन दोनों को इस तरह से जोड़ सकें कि इन गैर सरकारी संगठनों को बिना किसी परेशानी के "बर्बाद होने वाला भोजन" मिल जाए और होटल/रेस्तराँ/पार्टी-हॉल बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के इन खाद्यान्न चाहने वालों को ढूंढ़ लें तो यह एक बड़ा उद्देश्य होगा और मानवता की एक बड़ी सेवा होगी। अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके हम इस अंतर को पाट सकते हैं। आजकल, स्मार्टफोन बहुत सस्ती कीमत पर उपलब्ध हैं और लोगों और एजेंसियों को आपस में जोड़े रखने का सबसे अच्छा तरीका है।