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अमूर्त

वृद्ध रोगियों की दंत स्थिति और उपचार की आवश्यकता को समझना: भारतीय जनसंख्या में मौखिक स्वास्थ्य के रुझान

अनुज छाबड़ा, निधि छाबड़ा, काबी डी और अनुराग जैन

पृष्ठभूमि: भारत में बुज़ुर्ग आबादी की मौखिक स्वास्थ्य स्थिति और दंत चिकित्सा उपचार आवश्यकताओं पर व्यापक डेटा की कमी है। उद्देश्य: उत्तरी भारत में वृद्ध आबादी की दंत चिकित्सा स्थिति और उपचार आवश्यकताओं को समझना और उनका आकलन करना। तरीके: भारत की राष्ट्रीय राजधानी, नई दिल्ली में एक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया गया और इस अध्ययन में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 412 विषयों को शामिल किया गया (259 महिलाएँ और 153 पुरुष)। एक अंतःस्रावी नैदानिक ​​​​जांच और एक प्रश्नावली प्रदर्शन किया गया। उपचार की ज़रूरतों का मूल्यांकन मरीज़ के अनुरोध से स्वतंत्र रूप से उनके दंत और कृत्रिम स्थिति के आधार पर किया गया। परिणाम: एडेंटुलिज़्म का प्रचलन 75% था, जिसमें लिंग भेद था (69% पुरुष और 81% महिलाएँ)। अस्सी प्रतिशत ने हटाने योग्य डेन्चर पहना था, 10% के पास केवल प्राकृतिक दाँत थे, और 10% के पास न तो कृत्रिम दाँत थे और न ही प्राकृतिक दाँत। अधिकांश विषयों में कृत्रिम अंग (50%) को फिर से लगाने की आवश्यकता थी, 60% को निकालने की आवश्यकता थी और 25% को रूढ़िवादी उपचार की आवश्यकता थी। उपचार की ज़रूरतें व्यापक थीं और मुख्य रूप से जागरूकता की कमी, उपेक्षित देखभाल और आर्थिक बाधाओं के कारण जमा हुई थीं। निष्कर्ष: अध्ययन किए गए नमूना बुजुर्ग आबादी के बीच मौखिक देखभाल और दंत चिकित्सा उपचार की उच्च अपूरित आवश्यकता मौजूद थी।

अस्वीकृति: इस सारांश का अनुवाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों का उपयोग करके किया गया है और इसे अभी तक समीक्षा या सत्यापित नहीं किया गया है।