दिव्या टंडन
कोरोनावायरस को पहले मनुष्यों के लिए काफी हानिरहित श्वसन वायरस माना जाता था। दो अलग-अलग कोरोनावायरस अर्थात् सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस (SARS-CoV) और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस (MERSCoV) के कारण गंभीर श्वसन पथ के संक्रमण के दो पिछले प्रकोपों के बाद, यह तीसरी बार है जब COVID-19 नामक एक बिल्कुल अलग प्रकार का कोरोनावायरस उभर कर आया है और पूरी दुनिया में मानव आबादी को संक्रमित कर रहा है। यह वायरस चमगादड़ों में उत्पन्न हुआ और दिसंबर 2019 में चीन के हुबेई प्रांत के वुहान में कुछ अज्ञात मध्यवर्ती प्रजातियों के माध्यम से मनुष्यों में फैल गया। COVID-19 का संक्रमण संक्रमित रोगी के एरोसोल के संपर्क में आने या साँस लेने से फैलता है और ऊष्मायन अवधि 2 दिनों से 14 दिनों तक होती है। अधिकांश लोगों में रोग के लक्षण हल्के होते हैं और इसमें गले में खराश, खांसी, बुखार और थकान शामिल हैं, लेकिन कुछ रोगियों (आमतौर पर बुजुर्ग और किसी अंतर्निहित बीमारी वाले) में, यह निमोनिया, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) और कई अंगों की शिथिलता या विफलता में बदल सकता है। इन सभी तथ्यों ने कोरोना वायरस को विश्व स्तर पर सुर्खियों में ला दिया और इन रोगजनकों को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।