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प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (पीएसए) स्क्रीनिंग से जुड़ी नैतिक दुविधा

ज़ैना पी क़ुरैशी*, चार्ल्स बेनेट, टेरी हर्मनसन, रोनी हॉर्नर, रिफत हैदर, मिंजी ली और रिचर्ड जे एबलिन

खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने 1994 में प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए परीक्षण को मंजूरी दी थी। आज प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (PSA) की पहली बार खोज हुए चार दशक से अधिक समय बीत चुका है। फिर भी PSA परीक्षण की प्रभावशीलता के साथ-साथ प्रोस्टेट कैंसर का सबसे अच्छा प्रारंभिक पता लगाने की उपयुक्त रणनीति पर भारी अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (ACS), नेशनल कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर नेटवर्क (NCCN), अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसिएशन (AUA) और यूएस प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स (USPSTF) सहित कई समूहों ने असंगत सिफारिशों के साथ प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए कई नैदानिक ​​​​दिशानिर्देश जारी किए हैं। शोध से पता चलता है कि PSA के साथ प्रोस्टेट कैंसर की जांच के परिणामस्वरूप गलत-सकारात्मक स्क्रीन 80 प्रतिशत पुरुषों में होती है, जबकि 20 प्रतिशत पुरुषों के परिणाम गलत-नकारात्मक होते हैं। हाल ही में USPSTF द्वारा मौजूदा सिफारिशों में बदलाव का सुझाव दिया गया था इस पत्र में हम प्रोस्टेट कैंसर के लिए पीएसए स्क्रीनिंग के नैतिक पहलुओं की जांच करते हैं।

अस्वीकृति: इस सारांश का अनुवाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों का उपयोग करके किया गया है और इसे अभी तक समीक्षा या सत्यापित नहीं किया गया है।