श्रीधर एम, श्रीधरन एन, प्रताप कुमार एस और देवराजन आई
उद्देश्य : इस अध्ययन का उद्देश्य टीएएससी सी और टीएएससी डी महाधमनी-इलियक घाव वाले रोगियों में इलियाक एंडार्टेरेक्टोमी द्वारा एकतरफा इलियाक रीवास्कुलराइजेशन के बाद इलियो-फेमोरल बाईपास के परिणामों का मूल्यांकन करना है, जो कि खुलीपन और अंग बचाव के संबंध में है।
अध्ययन की विधि: भावी अध्ययन।
परिणाम: अगस्त 2016 से जनवरी 2017 की अवधि के दौरान कुल 26 रोगियों ने एकतरफा इलियाक हस्तक्षेप करवाया। प्रस्तुति के समय औसत आयु 68 वर्ष (सीमा 45-78) थी। 1 वर्ष के अंत में प्राथमिक ग्राफ्ट की खुली दर 92% थी। अंग बचाव दर 100% थी। कोई प्रारंभिक ग्राफ्ट विफलता नहीं देखी गई। एक रोगी में देर से ग्राफ्ट विफलता देखी गई।
निष्कर्ष: टीएएससी सी और डी महाधमनी-इलियाक घावों वाले रोगियों में एकतरफा इलियाक रीवास्कुलराइजेशन एक व्यवहार्य विकल्प है, जो अंतर्गर्भाशयी चिकित्सा के लिए उपयुक्त नहीं है और गंभीर सह-रुग्णताएं हैं।
कीवर्ड: इलियाक एंडार्टेरेक्टॉमी; सीएलआई; टीएएससी सी और डी इलियाक रोग