डॉ. मोमिता गोस्वामी
2001 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जाति की आबादी असम की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा है, जो 6.16 प्रतिशत है। वे आम तौर पर ग्रामीण इलाकों में घोर गरीबी में रहते हैं और ज्यादातर भूमिहीन लोग हैं। शहरी इलाकों में भी उनमें से ज्यादातर अस्वच्छ झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं। इस प्रकार उन्हें समाज का सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग माना जाता है। व्यवसाय जनसंख्या का एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक गुण है। यह सामाजिक, आर्थिक जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक विशेषताओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। अनुसूचित जाति के अधिकांश लोग बड़े पैमाने पर गैर कृषि पेशेवर लोग हैं, विशेष रूप से मछली पकड़ने, सुनार, बढ़ईगीरी, कपड़ा धोने, मिट्टी के बर्तन बनाने, झाड़ू लगाने, चमड़ा कमाना आदि में लगे हुए हैं। ब्रह्मपुत्र घाटी में कठोर सामाजिक पृथक्करण का अभाव, असम अनुसूचित जातियों के बसावट का एक पैटर्न प्रस्तुत करता है, जो भारत के अन्य हिस्सों से अलग है।