मोनिका शर्मा, शशांक सिंह और सिद्धार्थ शर्मा
अनुचित प्रिस्क्रिप्शन, दवाइयों को लेने में अनुपालन की कमी और दवाओं के अनियंत्रित उपयोग के कारण चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण संक्रामक एजेंटों में बहुऔषधि प्रतिरोध का उदय हुआ। वर्ष 2013 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सौ देशों में बहुऔषधि प्रतिरोधी तपेदिक (एमडीआर-टीबी) के 480000 से अधिक नए मामले रिपोर्ट किए गए। इसलिए, नई पीढ़ी के जीवाणुरोधी की तत्काल आवश्यकता है जो दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया पर प्रभावी और सटीक रूप से कार्य कर सके। बैक्टीरिया में प्रतिरोध के विकास की विभिन्न रणनीतियों में उत्परिवर्तन, एंजाइमों की अधिक अभिव्यक्ति और बहिर्वाह जैसे आणविक स्तर पर परिवर्तन शामिल हैं। इसलिए, एंटीबायोटिक्स विकास की रणनीतियों में ऐसे तरीके शामिल हो सकते हैं जो आणविक स्तर पर प्रतिकार कर सकते हैं जैसे एंटीसेंस जीवाणुरोधी और कोरम सेंसिंग का अवरोध। स्टैफिलोकोकस प्रजाति में पाया जाने वाला जीवाणु जीन आरपीओडी अत्यधिक संरक्षित है और इसके खिलाफ एंटीसेंस जीवाणुरोधी के निर्माण का आधार बन गया। टेक्सोबैक्टिन और एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स (एएमपी) सहित एंटीबायोटिक्स के लिपिड II वर्ग, यानी कृत्रिम रूप से उत्पादित, ने भी प्रतिरोधी बैक्टीरिया उपभेदों के खिलाफ आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। वर्तमान समीक्षा में नए युग के एंटीबायोटिक्स तथा औषधि प्रतिरोधी जीवाणु संक्रमण से निपटने की तकनीकों के अनुसंधान एवं विकास पर वर्तमान परिदृश्य का सारांश प्रस्तुत किया गया है।