ओलाडेले और ओलुवोले ओलाकुनले
इस कार्य में ताजे पत्तेदार भारतीय पालक के खराब होने से जुड़े सूक्ष्मजीवों की जांच की गई। सूक्ष्मजीवों की गणना में पोर प्लेट विधि (पीपीएम) का उपयोग शामिल है। पालक के पत्तों के हरे रंग के खत्म होकर नरम हो जाने से होने वाली यह गिरावट कुल चार (4) जीवाणु प्रजातियों और पांच (5) कवक प्रजातियों के कारण हुई थी। बैक्टीरिया के अलगाव में बैसिलस सबटिलिस, सेराटिया मार्सेसेंस, लैक्टोबैसिलस एसपी और प्रोटीस मिराबिलिस थे। कवक के अलगाव में एस्परगिलस नाइजर, एस्परगिलस फ्लेवस, म्यूकोर म्यूसेडो, फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम और पेनिसिलियम एसपी थे। पालक में नमी की मात्रा अधिक थी जो कि सफेद किस्म (बेसेला अल्बा) में 90.50% और बैंगनी किस्म (बेसेला रूब्रा) में 90.00% थी। पत्तेदार पालक में इन सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति ने सूक्ष्मजीव संदूषण का संकेत दिया, इसलिए पालक खराब हो गया और इसकी गुणवत्ता में कमी आई।