दुबे ए.डी., मनीष वर्मा और आशीष कुमार खंडेलवाल
हमारी सभ्यता की एक खास विशेषता यह है कि आदिम काल से ही मनुष्य मशीनों या मैन्युअल उपकरणों की मदद से काम का बोझ कम करने की कोशिश करता रहा है। यह देखा गया है कि मशीनें भी मानवीय हस्तक्षेप के बिना बहुत लंबे समय तक काम नहीं कर सकती हैं, अगर चलती रहीं तो रखरखाव के बिना उनके खराब होने की संभावना हो सकती है। काम मानव-मशीन प्रणाली द्वारा किया जाता है। उत्पादकता सीधे 5 एम से जुड़ी होती है, यानी मैन, मशीन, मटीरियल, मनी और मैनेजमेंट। इस परियोजना में लघु उद्योगों यानी ईंट उद्योगों में उत्पादकता में सुधार लाने पर जोर दिया गया है। एर्गोनॉमिक्स को एक सबसिस्टम के रूप में लिया गया है, जिसके तहत थकान और सुरक्षा का विश्लेषण किया जाता है। गलत मुद्रा के कारण मांसपेशियों, नेत्र और हड्डी संबंधी कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिससे उत्पादकता में कमी आती है। सही शारीरिक मुद्रा के प्रावधान और विभिन्न उत्पादकता मॉडल का उपयोग करने से एर्गोनॉमिक्स के अनुप्रयोग से श्रमिकों की अनुपस्थिति कम होती है