ए. वरदराजन और आर. विजयालक्ष्मी
भारत के तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले के सभी छह तालुकों के बकरियों के झुंडों पर नेमाटोड परजीवियों के खिलाफ उपचार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कृमिनाशक (फ्यूबेंडाजोल, लेवामिसोल और आइवरमेक्टिन) की दक्षता निर्धारित करने के लिए मल अंडों की संख्या में कमी परीक्षण (एफईसीआरटी) किए गए। वर्तमान अध्ययन के परिणामों से पता चला है कि कुड्डालोर जिले के सभी झुंडों के फेनबेंडाजोल से उपचारित बकरियों में कृमिनाशक प्रतिरोध का उच्च स्तर 74-91 प्रतिशत की कमी के साथ पाया गया, जबकि चिदंबरम, कुडलोर और वृद्धाचलम तालुकों के बकरियों के झुंड लेवामिसोल के प्रति कम प्रतिरोधी पाए गए और उनके मल अंडों में क्रमशः 91, 91 और 90 प्रतिशत की कमी आई। सभी फार्मों में नेमाटोड को नियंत्रित करने में आइवरमेक्टिन प्रभावी पाया गया। उपचार के बाद (फेनबेंडाजोल और लेवामिसोल) लार्वा संवर्धन से हेमोनचस कॉन्टोर्टस लार्वा की उपस्थिति का पता चला।