शैलेश चतुर्वेदी, जस्टिन डाउनिंग और लेस्ली एस कार्सन
जून 2003 और जून 2004 के बीच 12 महीनों की अवधि में हमारे ब्रेस्ट यूनिट में डायबिटिक मैस्टोपैथी के दो मामले आए। दोनों मामले टाइप 1 डायबिटीज मेलिटस के रोगियों में देखे गए। ट्रिपल असेसमेंट (शारीरिक जांच, इमेजिंग और फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी) से निश्चित निदान नहीं मिला और इसलिए अंतिम निदान प्राप्त करने के लिए एक्सिशन बायोप्सी करनी पड़ी। केस नंबर 1 में डायबिटिक मैस्टोपैथी की सभी क्लासिकल हिस्टोलॉजिकल विशेषताएं थीं। ये दोनों मामले रोगी को परामर्श देने और अंतिम प्रबंधन योजना बनाने से पहले मधुमेह रोगियों में संदिग्ध घावों की कोर/एक्सिशन बायोप्सी के महत्व को दर्शाते हैं।