सुरभि गांधी, महक शर्मा, बरखा भटनागर
व्यावसायिक रूप से पकाना फल उद्योग का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गया है। लोग कैल्शियम कार्बाइड जैसे खतरनाक रसायनों से पके हुए फलों का सेवन करते हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा करते हैं। इसलिए, वर्तमान अध्ययन केले को पकाने के लिए प्राकृतिक पकाने वाले एजेंटों (सेब, नाशपाती, टमाटर) की तुलना कृत्रिम पकाने वाले एजेंट (कैल्शियम कार्बाइड) से करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। प्राकृतिक पकाने वाले एजेंटों और कैल्शियम कार्बाइड (1 ग्राम और 2 ग्राम) के साथ केले के विभिन्न बैच बनाए गए थे। बैचों को दो अलग-अलग भंडारण स्थितियों यानी पेपर बैग और प्लास्टिक कंटेनर में रखकर पकने की क्षमता का आकलन किया गया था। हेडोनिक स्कोरिंग द्वारा संवेदी मूल्यांकन दोनों किया गया था। डेटा से पता चला कि प्लास्टिक के कंटेनर में रखे केले पेपर बैग में रखे केलों से पहले पक गए और अधिक स्वीकार्य थे। इसके अलावा, सेब के साथ कंटेनर में रखे केले को पकने में केवल 4 दिन लगे जबकि दोनों सांद्रता में कैल्शियम कार्बाइड के साथ रखे गए केलों को पकने में 5 दिन लगे। अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि कृत्रिम पकाने वाले की तुलना में प्राकृतिक पकाने वाले एजेंट विशेष रूप से सेब बेहतर हैं। इसके अलावा, वे किशोरों और वयस्कों के लिए किसी भी संभावित स्वास्थ्य जोखिम से रहित हैं।