गौतम चंद्रा, समीर कुमार मोंडा, मानस परमानिक और नीलाद्री सरकार
पृष्ठभूमि: भारत जैसे कई तीसरी दुनिया के विकासशील देशों में लसीका फाइलेरिया की स्थिति बदतर है। लेकिन कई क्षेत्रों से जानकारी कम है। वर्तमान अध्ययन भारत के पश्चिम बंगाल के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में तुलनात्मक फाइलेरिया महामारी विज्ञान पर केंद्रित है।
तरीके: 3144 शहरी और 2690 ग्रामीण लोगों के फाइलेरिया रोगों के लिए 20 μL रात्रि रक्त के नमूनों की उंगली से चुभन और नैदानिक जांच की गई।
परिणाम: दोनों क्षेत्रों में वुचेरेरिया बैनक्रॉफ्टी की पहचान फाइलेरिया के प्रेरक परजीवी के रूप में की गई। शहरी क्षेत्र में, समग्र माइक्रोफाइलेरिया दर, औसत माइक्रोफाइलेरिया घनत्व, रोग दर और स्थानिकता दर क्रमशः 3.24%, 6.31, 5.47% और 8.72% के रूप में आंकी गई दोनों क्षेत्रों में फाइलेरिया की समस्या से पुरुष महिलाओं की तुलना में अधिक प्रभावित थे।
निष्कर्ष: शहरी अध्ययन क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में बैंक्रॉफ्टियन फाइलेरिया के लिए अधिक स्थानिक है। शहरी क्षेत्र पहले से ही इस बीमारी के खतरे में हैं और यह ग्रामीण क्षेत्रों की ओर फैल रहा है।