वी वेल्मिशी, डी बाली, ई दरविशी, वी. डुरो और पी कुल्लुफी
उद्देश्य : गौचर रोग एक बहु-प्रणालीगत विकार है जिसकी विशेषता ग्लूकोसेरेब्रोसिडेस एंजाइम की कमी है। इस अध्ययन का उद्देश्य हमारी सेवा में 19 रोगियों (17 प्रकार 1, 2 प्रकार 3) के नैदानिक पहलुओं और नैदानिक डेटा को प्रस्तुत करना था।
विधियाँ: 19 रोगियों के लिए नैदानिक निष्कर्ष, आनुवंशिक विश्लेषण, प्रयोगशाला परीक्षण, यकृत और प्लीहा की मात्रा का विश्लेषण किया गया।
परिणाम: औसत आयु 17 वर्ष (5-32 वर्ष) थी; निदान के समय औसत आयु 11, 4 वर्ष (5-31 वर्ष) थी। सबसे आम प्रस्तुत लक्षण स्प्लेनोमेगाली (सभी रोगियों) था। सबसे अधिक बार होने वाला उत्परिवर्तन हेटेरोज़ायगस N370S था। उपचार से पहले एक रोगी को गंभीर एनीमिया था। 16 रोगियों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया था। सभी रोगियों में उपचार से पहले चिटोट्रियोसिडेस का उच्च स्तर था (सामान्य मूल्य से 240 गुना अधिक)।
निष्कर्ष: गौचर रोग में नैदानिक लक्षणों की एक बड़ी विविधता है। हमारे अनुभव में रोगी की उचित जांच के बाद आगे की महंगी जांच निदान की आधारशिला है।