इनोसेंट ओक्वान्या, ओग्बू मोसेस और जॉब मिगैप प्रिस्टिन
२०१२ में नाइजीरिया में ईंधन सब्सिडी को आंशिक रूप से हटाने से नाइजीरिया के साहित्य में काफी बहस हुई है। ईंधन सब्सिडी सुधार पर एक प्रमुख नीतिगत चिंता गरीबों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव हैं। यह पत्र १९८६ से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर ईंधन सब्सिडी सुधारों के प्रभाव का मूल्यांकन करता है। अध्ययन १९८६ से २०१४ तक प्रीमियम मोटर स्पिरिट (पीएमएस) और सीपीआई के पंप मूल्य के आंकड़ों का उपयोग करके ईंधन सब्सिडी हटाने और सीपीआई के बीच संबंध स्थापित करने के लिए सह-एकीकरण और त्रुटि सुधार मॉडल (ईसीएम) का उपयोग करता है। अध्ययन में पाया गया कि हालांकि ईंधन की कीमत में बदलाव का सीपीआई पर अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है, लेकिन अल्पावधि प्रभाव १२ प्रतिशत है। इस तरह के बदलाव के कारण सीपीआई में इस विकृति का केवल ०.२ प्रतिशत एक वर्ष के भीतर ठीक किया जाता है। ईंधन सब्सिडी सुधारों पर काम शुरू किया जाना चाहिए और राजकोषीय बचत को ऐसे उपक्रमों में निवेश किया जाना चाहिए जिससे गरीब परिवारों की आय और कल्याण में वृद्धि हो।