श्रीधरा वोलेटी1*, शालिनी सक्सैना, उदय सक्सैना
नई दवाओं की खोज एक महंगी और समय लेने वाली प्रक्रिया है। बेंच से लेकर बेडसाइड तक (विचार से लेकर दवा लॉन्च तक) लगने वाला औसत समय नैदानिक परीक्षणों सहित लगभग 12 वर्ष है। कोविड-19 महामारी के उभरने से यह पता चला है कि पारंपरिक समयसीमा से कहीं ज़्यादा जल्दी चिकित्सीय दवाओं को लॉन्च करने की सख्त ज़रूरत है। ऐसे में उद्योग दवाइयों को ज़्यादा तेज़ी से डिलीवर करने की प्रक्रिया को फिर से खोज रहा है।
इस प्रकार हम यहाँ कोविड-19 के लिए दवाओं की पहचान करने का एक नया प्रतिमान प्रस्तुत करते हैं। इसमें तीन मूलभूत सिद्धांतों का उपयोग किया गया है, अर्थात, 1) मौजूदा FDA अनुमोदित दवाओं का उपयोग करना जिन्हें अन्य बीमारियों के लिए अनुमोदित किया गया है, ताकि उनकी सुरक्षा सिद्ध हो, 2) कोविड-19 के स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन जैसे रुचि के लक्ष्य के विरुद्ध सर्वोत्तम दवाओं को चुनने के लिए कम्प्यूटेशनल तर्कसंगत दृष्टिकोणों का उपयोग करना, और अंत में, 3) इन शॉर्ट-लिस्ट की गई दवाओं का इन विट्रो रोग मॉडल के माध्यम से सत्यापन करना। हमारा अनुमान है कि इस तरह के दृष्टिकोण से बेंच से बेडसाइड तक की समयसीमा 5 साल या उससे कम हो सकती है, जिससे कोविड-19 जैसी तत्काल अपूरित बीमारियों की ज़रूरतें तेज़ी से पूरी हो सकती हैं।