अमाता, आईए
डेल्टा स्टेट यूनिवर्सिटी असबा कैंपस, डेल्टा स्टेट नाइजीरिया के रिसर्च एंड टीचिंग फ़ार्म में किए गए एक प्रयोग में विशालकाय अफ़्रीकी भूमि घोंघा आर्काचैटिना मार्जिनेटा के अंडों से बच्चे निकलने की क्षमता और बच्चे के विकास के प्रदर्शन पर चयनित सूक्ष्म-आवासों के प्रभाव की जाँच की गई। यह प्रयोग छह महीने की अवधि में किया गया था। पाँच अलग-अलग सूक्ष्म-आवास चुने गए। इनमें नदी की रेत, ऊपरी मिट्टी, चूरा, कीचड़ और सड़ी हुई वनस्पतियाँ शामिल हैं। मापे गए मापदंडों में अंडों का वज़न, अंडों की लंबाई और अंडे से बच्चे निकलने की क्षमता का प्रतिशत शामिल है। दस सप्ताह की अवधि में अंडों से बच्चे निकलने के वज़न और औसत वज़न में द्वि-साप्ताहिक बदलाव भी दर्ज किया गया। अंडों के वज़न और अंडों की लंबाई के लिए समूहों के बीच महत्वपूर्ण अंतर देखे गए, जिसमें चूरा, कीचड़ और सड़ी हुई वनस्पतियों ने ऊपरी मिट्टी और नदी की रेत की तुलना में उच्च मान दर्ज किए। पोस्ट हॉक परीक्षणों से पता चला कि ऊपरी मिट्टी और नदी की रेत में रखे गए अंडों में 100% बच्चे निकलने की क्षमता, कीचड़ और सड़ी हुई वनस्पतियों में रखे गए अंडों में 95% बच्चे निकलने की क्षमता और चूरा में रखे गए अंडों में 71% बच्चे निकलने की क्षमता है। अंडों से बच्चे निकलने के वज़न के लिए प्राप्त परिणाम समूहों के बीच द्वि-साप्ताहिक महत्वपूर्ण अंतर दर्शाते हैं। प्रयोग से प्राप्त परिणाम दर्शाते हैं कि ऊपरी मिट्टी और नदी की रेत घोंघे के अंडों के फूटने के लिए उपयुक्त सूक्ष्म आवास हैं, जबकि चूरा, बाद में अंडों के विकास के लिए उपयुक्त माध्यम है।