विनय सिंह कश्यप और सत्य प्रकाश मेहरा
सूचना सामाजिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन और मूल्यवान इनपुट है। यह सर्वमान्य सामान्यीकरण है कि जो देश सूचना में समृद्ध है, वह सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में भी समृद्ध है। पुस्तकालय को पारंपरिक रूप से धीमा और निष्क्रिय संगठन माना जाता है, जो मांग पर दस्तावेज और सेवाएं प्रदान करता है। हालांकि, अतीत में यह विश्वास करना कठिन था कि पारंपरिक रूपों का निराई (निपटान) आधुनिक परिप्रेक्ष्य में एक चुनौती होगी। वर्तमान जांच राजस्थान (भारत) के विश्वविद्यालय पुस्तकालयों में निराई नीतियों और इससे जुड़ी चुनौतियों का आकलन करने का एक प्रयास है। आईसीटी युग में राजस्थान के चयनित दस विश्वविद्यालय पुस्तकालयों का प्रश्नावली और साक्षात्कार आधारित मूल्यांकन किया गया। सूचना के वर्तमान युग में, किसी भी शैक्षणिक पुस्तकालय की संग्रह विकास नीति की शुरुआत के साथ ही निराई नीति की योजना बनाई जानी चाहिए। इसके अलावा, टिकाऊ निराई नीति उपयोगकर्ताओं को पुन: उपयोग के लिए पारंपरिक रूपों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है जो अन्यथा ठोस अपशिष्ट पैदा करते हैं। शैक्षणिक पुस्तकालयों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर चर्चा करने का यह सही समय है।