प्रबल गिरी और चूराला पाल
भोजन का तापीय व्यवहार इसकी संरचना पर बहुत हद तक निर्भर करता है। खाद्य प्रसंस्करण का लक्ष्य खराब होने वाले और रोगजनक सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय करना और भंडारण में इस स्थिति को बनाए रखना है। कैलोरीमेट्रिक तकनीकों का उपयोग करके, -50 डिग्री सेल्सियस और 300 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान रेंज में कई भौतिक रासायनिक प्रभाव देखे जा सकते हैं। प्रसंस्करण और भंडारण स्थितियों के प्रभाव की एक मौलिक समझ विकसित करने के लिए प्रसंस्करण से पहले और बाद में खाद्य पदार्थों की संरचना और गुणों को चिह्नित करने के लिए बायोफिजिकल तकनीकों अर्थात् आइसोथर्मल टाइट्रेशन (आईटीसी) और डिफरेंशियल स्कैनिंग कैलोरीमेट्री (डीएससी) का उपयोग किया जाता है। ऐसे अध्ययनों से प्राप्त डेटा का उपयोग अनुकूलित स्थिति के तहत खाद्य पदार्थों के भौतिक गुणों की भविष्यवाणी करने के लिए किया जा सकता है।